जमघट का क्या अर्थ होता है
जमघट यानि गोवर्धन पूजा दिवाली के दूसरे दिन मनाई जाती है जमघट का अर्थ होता है लोगो का जमाव होना मतलब जहा पर सब लोग एक साथ ईकट्ठे होकर पूजन करे इस पूजा को प्रकृति की पूजा भी कहा जाता है जिसकी शुरुआत खुद भगवान श्री कृष्ण ने की थी। इस दिन गाय की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा की शुरुआत ब्रिज से होती है और धीरे-धीरे समय के साथ अभी पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हो चुकी है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 15 नवंबर के दिन मनाई जाएगी। वेद पुराणों में भगवान वरुण और अग्नि की पूजा का विधान बताया गया है। इस दिन गायों का श्रृंगार करके उनकी आरती की जाती है और उन्हें फल, फूल, मिठाइयां इत्यादि खिलाई जाती हैं। इसके बाद गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है। और फिर इसके बाद फूल, धूप, दीप, आदि से उसकी पूजा की जाती है। इस दिन भोजन में अलग-अलग तरह के पकवान बनाए जाते हैं.
गोवर्धन पूजा करने की विधि
इस दिन गाय के गोबर से सभी घरों में गिरिराज पर्वत का प्रतीक बनाया जाता है. खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में यह पूजा अधिक प्रचलित है. शहरों में भी यह पूजा की जाती है. गिरिराज पर्वत के प्रतीक का पंचामृत अभिषेक भी किया जाता है.इस दिन का विशेष उद्देश्य पशुधन की पूजा करना है. हिंदू धर्म में गौमाता को साक्षात ईश्वर का रूप माना गया है. इस दिन सभी किसान अपने पालतु पशुओं का श्रृंगार करते हैं. भगवान श्री कृष्ण इंद्र के अभिमान को तोड़कर बृजवासी पर्यावरण के महत्व को समझें और उसकी रक्षा करें यही उनका उद्देश्य था. इस दिन बहुत से श्रद्धालुओं के राज पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं.