भारत में हर गाँव की अपनी एक अलग विशेषता नजर आती है। अपनी इसी विशेषता को समेटे एक गाँव ऐसा भी है जहाँ हर ओर मंदिर ही मंदिर नजर आते हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी से लगभग 110 किलोमीटर दूर सीतापुर जिले में बसे इस गाँव का नाम है ब्रम्हावली। इस गाँव में 35 स्थापित मंदिर हैं। यही वजह है कि आस-पास के गाँव के लोग भी इस गाँव को मंदिरों वाला गाँव कहते हैं। गाँव में इतने मंदिर होने की वजह से सुबह-शाम घंटों की आवाज गूंजती रहती है। इतना ही नहीं, इस गाँव में किसी न किसी मंदिर का जीर्णोद्धार और रंगाई-पुताई का काम भी जारी रहता है। वह गाँव है जिसका डंका सभ्यता, शिक्षा और धर्म आस्था के लिए दूर-दूर तक है। इस गाँव में लोग ईश्वर के प्रति कितना श्रद्धावान हैं इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि यहाँ हर तरफ मंदिर ही मंदिर हैं।इस गाँव में अभी 35 स्थापित मंदिर हैं। इनमें 27 शिव मंदिर हैं। इसके अतिरिक्त गायत्री मंदिर, दुर्गा मंदिर, राम जानकी मंदिर, हनुमान मंदिर, राधाकृष्ण के मंदिर भी स्थापित हैं।
गाँव में इतने मंदिर कैसे बने/ के सवाल पर आचार्य रंगनाथ गाँव में बने मंदिरों के इतिहास को लेकर प्राचीन हस्तलेख दिखाते हैं जिस पर गाँव के और मंदिरों के बारे में उल्लेख मिलता है। आचार्य रंगनाथ बताते है, "गाँव में मंदिरों के इतिहास की बड़ी रोचक मान्यता है। जब यह गाँव बसा था तभी से यहाँ मंदिरों की स्थापना शुरू हो गई थी और आज भी यहां मंदिर बनने का यह क्रम जारी है। गाँव में कुछ नए मंदिर निर्माणाधीन हैं, जबकि पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार और रंगाई-पुताई भी कहीं ना कहीं गाँव में जारी रहती है मात्र 650 घरों के इस छोटे से गाँव के ब्रिजकांत बाजपाई (63 वर्ष) बताते हैं, "ब्रम्हावली यानी ब्राह्मणों का गाँव, यहाँ के लोग हमेशा से ईश्वर की पूजा-पाठ करना अपना कर्तव्य मानते हैं। हमारे पुराने लोग तो बताते थे कि इस गाँव में बड़े-बड़े विद्वान हुए। यही वजह है कि इस गाँव के लोगों ने न सिर्फ ब्रम्हावली गाँव में, बल्कि दूसरे राज्यों में दूर-दूर तक कई मंदिर बनवाए।" ब्रिजकांत के अनुसार, गाँव के बहुत से लोग अपनी कमाई का दसवां अंश मंदिरों के लिए निकालते हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं जोनेकानेक धार्मिक कार्यों में जैसे कन्या आदि के विवाह में गुप्त दान भी करते ।