मुखड़ा क्या देखे दर्पण में
आपको किसे दूसरे आदमी की तरह बनाने और अपना स्वतंत्र अस्तित्व न बनाने की प्रवतरि से बाहर निकलना होगा आपको दुसरो की तरह बोलने और दुसरो की तरह चेहरों को अपना चेहरा समझने की भूल से बचना होगा मनुस्य को एक चीज मिले है जो मानव भी बना सकती है और दानव भी बना सकती है
अपने कस्टो से सीखना कठिन है पर जब नियति का सूर्य आपकी परछाई से खेलता है तब उसे देखना सीखे ,जीवन का आदर करना सीखे
जब नियति किसे मनुस्य से बाहरी तौर पर जुड़ती है तो वह उसे कमजोर करती है जैसे की एक प्रचिप्त तीर हिरन को जमीं पर गिरा देता है लेकिन जब मनुस्य भीतर से अपनी नियति से साछात्कार करता है तो वह मजबूत बनता है और वह ईश्वर बन जाता है जिस व्यक्ति ने अपनी नियति को जान लिया वह कभी उसे कभी बदलने की कोसिस नहीं करता अपनी निअयति को बदलना एक किश्म का बचपना है जिससे मनुस्यो में विवाद फैलता है और वे एक दूसरे की हत्या पर आमादा हो जाते है
नियति को जानना ही जीवन को जानना है
इस पृथ्वी पर किया गया हर सच्चा कार्य खुसियो भरा और सार्थकहै इस पृथ्वी पर किया गया हर सच्चा कार्य खुसियो भरा और सार्थक है
मिटटी में दबा हुवा बीज धरती के कस्ट सहता है वृछो की जड़ो को पानी का वेग सहना पड़ता है यह धरती नियति है वर्षा और प्रकृति तथा मनुस्यो में बड़ा होने की प्रक्रिया नियत
अपने कस्टो सीखना कठिन कार्य है महिलाये कस्तो का बेहतर तरीके से सामना करती है और कस्टो से सीखने में वो पुरसो की तुलना में ज्याया ठीक है जब नियति का सूर्य आपकी परछाई के साथ खेलता है तब उसे देखना सीखे जीवन कितना भी बदरंग क्यों न हो उसका आदर करना सीखे ऐसी तरह आप खुद को सम्मान दे पाएंगे क्योकि प्रसंसा से परे अपना सम्मान करना भी एक कला है जीवन से यह सीखे की कस्ट ही हमें मजबूत बनाते है